महंत श्री सुरेन्द्र नाथ अवधूत जी

महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत जी एक महान संत, समाजसेवी और हिंदुत्व के प्रचारक हैं। उनका अपना पूरा जीवन धर्म, समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित है। जोकि वर्तमान मे अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा विश्व हिन्दू महासंघ व सनातन हिन्दू वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूप मे अपने सेवा दें रहे है

महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के डिठौरा गाँव में हुआ। उनका जन्म धार्मिक विचारों वाले परिवार मे हुआ पिता श्री शीशराम जी, माता जी श्रीमती कपूरी देवी, एक सरल और आध्यात्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। माता-पिता के संस्कारों ने उन्हें धर्म और समाज सेवा के लिए प्रेरित किया।

उनका परिवार बाद में बलबीर नगर शाहदरा, दिल्ली चला आया। उन्होंने आठवीं कक्षा तक वहीं पढ़ाई की। इसके बाद, वे आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़े और गुरु के शरण में चले गए। उन्होंने भैरो मंदिर, तीस हजारी में सद्गुरु महंत श्री राम नाथ जी के सानिध्य में धर्म ,संस्कृति के साथ साथ आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त की।

शिक्षा के प्रति उनके झुकाव के चलते उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्याम लाल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम.ए. किया।

महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत जी को उनके गुरु महंत राम नाथ जी धार्मिक शिक्षाओं के लिए निरंतर प्रेरित करते थे। गुरु के आदेश पर वे कई स्थानों की देख रेख व धर्म प्रचार एवं सामाजिक कार्यों में जाते थे। उन्होंने संत परंपरा को आगे बढ़ाने का दृढ़ निश्चय कर धार्मिक चेतना जागृत करने के लिए निरंतर प्रयास किए।

सन् 1992 में उनके गुरु महंत राम नाथ जी का शिव लोक वास हो गया। इसके बाद, 6 अप्रैल 1992 को महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत जी को कालकाजी मंदिर दिल्ली, के महंत व श्री कालिका पीठ का पीठाधीश्वर बनाया गया। उन्होंने इस पद को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ संभाला और सनातन धर्म, हिंदुत्व और समाज सेवा को और भी आगे बढ़ाया।

महंत जी बचपन से ही समाज सेवा में रुचि रखते थे। उन्होंने धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए कई धार्मिक आयोजन, यज्ञ, अनुष्ठान और जागरूकता अभियान चलाए, वे हमेशा गरीब, असहाय और जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार रहते हैं।

उनका मानना है कि शिक्षा, सेवा और संस्कार से ही समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने गौ रक्षा, सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन को बढ़ावा देने के कार्य के साथ साथ गरीब कन्याओं की विवाह, युवाओं को भारतीय कानून की पढ़ाई अर्थत वकालत के ले प्रेरित करते है।